मध्य प्रदेश के थाने में कपड़े उतारे जाने के पत्रकार और रंगकर्मियों ने पूरे घटनाक्रम पर क्या कहा !

कनिष्क तिवारी

शुरैह नियाज़ी
मध्य प्रदेश के सीधी ज़िले के एक थाने में पत्रकार और रंगकर्मियों के अर्धनग्न तस्वीरों को वायरल करने के बाद स्थानीय पुलिस सवालों के घेरे में है.जिन लोगों की तस्वीर को वायरल किया गया, उन्होंने बताया है कि उनके साथ ख़राब बर्ताव किया गया और पुलिस के कई अधिकारियों ने उनके साथ मारपीट की. इन सब का आरोप है कि पूरी कार्रवाई स्थानीय विधायक केदार नाथ शुक्ला के कहने पर की गई.ये तस्वीर 2 अप्रैल, शाम क़रीब साढ़े आठ बजे सीधी कोतवाली की है. तस्वीर में दिख रहे आठ अर्धनग्न लोगों में से दो स्थानीय पत्रकार हैं और बाकी लोग नाट्यकर्मी हैं. आरोप है कि ये लोग एक स्थानीय रंगकर्मी की गिरफ़्तारी का विरोध कर रहे थे जिसके बाद पुलिस ने इन सभी को पकड़ कर उनके कपड़े उतरवाए और थाने में इनकी परेड निकाली.
पत्रकार का दावा है कि वो घटना को कवर करने के लिए गए थे जबकि रंगकर्मी अपने साथी की गिरफ्तारी के बारे में पूछने गए थे.
पुलिस ने इनकी अर्धनग्न तस्वीरें खींच कर वायरल कर दी. मामला बढ़ता देख पुलिस अधीक्षक मुकेश कुमार श्रीवास्तव ने जांच के लिए गायत्री त्रिपाठी को इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर नियुक्त किया.
पुलिस ने जिन लोगों की तस्वीर वायरल की है, उनमें से एक 30 वर्षीय आरटीआई एक्टिविस्ट सुनील चौधरी भी हैं. सुनील चौधरी का कहना है कि ज़मीन के एक मामले में उन्होंने आवेदन दिया था, जिसकी वजह से मौका मिलते ही उन्हें निशाना बनाया गया.
सुनील ने बताया कि उस दिन वो अपने साथियों के साथ केवल ये जानने के लिए गए थे कि नीरज कुंदेर को किस अपराध में गिरफ्तार किया गया है. लेकिन पुलिस ने माहौल को पूरी तरह से बदल दिया और ऐसी स्थिति बना कर वहां मौजद लोगों की जमकर पिटाई की.
32 साल के नरेंद्र बहादुर सिंह रंगकर्मी हैं जो सीधी में लोक गीत और थिएटर के लिये जाने जाते हैं. उन्होंने नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा में आयोजित थिएटर ओलंपिक में हिस्सा लिया था. इसके अलावा कई नामी गिरामी कार्यक्रम में भी उन्होंने शिरकत की है.
उन्होंने बताया, “पूरा मामला बदला लेने का है. हम जानना चाहते थे कि जिस फर्जी आईडी की बात पुलिस कर रही थी उसकी जांच करवाई जाए ताकि पता चले कि वो किसने बनाया है.”

नरेंद्र सिंह

नरेंद्र ने बताया, “पुलिस ने जिस तरह का जुल्म किया है, उसे बयान नहीं किया जा सकता है. थाने के टीआई ने सभी को धमकाया कि विधायक के ख़िलाफ़ किसी भी तरह की ख़बर नहीं चलाई जानी है. इस दौरान हमें जमकर लाठियों से मारा गया. हमारे कपड़े उतारे गए. उसके साथ ही हमने जो जनेऊ पहना था, उसे भी काटकर फेंक दिया गया.”
इनका आरोप है कि टीआई मनोज सोनी ने वहां से कम से कम 40-45 किलोमीटर दूर स्थित अमीलिया थाने के टीआई अभिषेक सिंह परिहार और जमोड़ी थाना शेषमणि मिश्रा को भी बुला लिया. जबकि इनका इस मामले से कुछ भी लेना-देना नहीं था.
नरेंद्र ने बताया कि उन पर भी लाठी से बहुत मारा गया. नरेंद्र सिंह ने ये भी बताया कि वो पिछले एक साल से किडनी की बीमारी से जूझ रहे हैं. इसके बावजूद टीआई मनोज सोनी ने उन्हें मारा और गालियां दीं. उन्हें हर छह घंटे में दवाई की ज़रूरत होती है लेकिन उस दौरान उन्हें वह उपलब्ध नहीं कराया गया.
वहीं, एक अन्य रंगकर्मी 30 वर्षीय रजनीश कुमार जायसवाल ने बताया कि वो सिर्फ़ आवेदन देने के लिए गए थे. उनका उद्देश्य जानकारी हासिल करना था और कुछ नहीं. उन्होंने बताया, “पुलिस ने मुझे 10-12 लाठी मारी. मैं अपने जीवन में कभी भी थाने नहीं गया था. उसके बावजूद मेरे साथ बदसुलूकी की गई.”उन्होंने यह भी बताया कि घटना से एक दिन पहले शहर के मानस भवन में कलेक्टर ने पुलिस अधीक्षक की मौजूदगी में उन लोगों का सम्मान भी किया था.
37 साल के रोशनी प्रसाद मिश्रा भी 2004 से रंगकर्म से जुड़े हुए हैं. उन्होंने खैरागढ़ से लोक संगीत और थिएटर में पोस्ट ग्रैजुएशन किया है. रोशनी प्रसाद मिश्रा का कहना है कि एक समय विधायक महोदय हमारे साथ खड़े होते थे लेकिन एक स्थानीय ऑडिटोरियम को बनवाने को लेकर चले विवाद के बाद वो रंगकर्मियों के ख़िलाफ़ हो गए.
इस मामले में गिरफ्तार हुए नीरज कुंदेर के छोटे भाई शिव कुंदेर भी थिएटर से जुड़े हैं. उनका आरोप है कि पुलिस की झापड़ की वजह से उनके कान का एक पर्दा लगभग 70 प्रतिशत तक ख़राब हो गया है.27 साल के शिव का कहना है कि उनके सीने में भी पिटाई की वजह से दर्द बना हुआ है. उनका आरोप है कि उन्हें कम से कम 25-30 झापड़ पुलिस ने मारे. वहां मौजूद एक अन्य रंगकर्मी आशीष सोनी ने बताया कि वो अभी बात करने की स्थिति में नहीं हैं.

रोशनी प्रसाद मिश्रा

घटना की पुष्टि करते हुए सीधी ज़िले के एसएसपी मुकेश कुमार कहते हैं, “नीरज कुंदेर एक रंगकर्मी हैं, उनकी गिरफ़्तारी के बाद लोग प्रदर्शन करने आए थे, थाने के बाहर आपत्तिजनक नारेबाज़ी कर रहे थे. पुलिस ने उन्हें समझाया, लेकिन वो नहीं माने. देर रात में प्रदर्शनकारियों को भी हिरासत में लिया गया था और विधिवत 151 के तहत गिरफ़्तार भी किया गया था.”
मुकेश कुमार कहते हैं, “इन लोगों के ख़िलाफ़ एक मुक़दमा भी दर्ज किया गया है.”हिरासत में लिए गए लोगों को अर्धनग्न किए जाने और उनकी तस्वीरें खींचे जाने के सवाल पर पुलिस अधीक्षक कहते हैं, “ये तस्वीरें मेरे संज्ञान में हैं और इनकी जांच की जा रही है कि किन हालात में ये तस्वीरें खींची गई हैं. डीएसपी को इसकी जांच सौंपी गई है. जांच रिपोर्ट के बाद दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी.”
जो तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हुई हैं उसमें पत्रकार और बाकी लोग अर्धनग्न दिखाई दे रहे हैं. ये तस्वीर मानवीय गरिमा के भी ख़िलाफ़ है. हालांकि सीधी पुलिस अभी ये जांच कर रही है कि ‘किन नियमों के तहत’ ऐसा हुआ है.पुलिस अधीक्षक मुकेश कुमार कहते हैं, “किन परिस्थितियों में ऐसा हुआ है, किन नियमों के तहत ऐसा किया गया है हम इसकी जांच करा रहे हैं, यदि ये नियम विरुद्ध हुआ तो हम थाना प्रभारी समेत बाकी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई करेंगे.”पुलिस अधीक्षक कहते हैं, “मैं जांच रिपोर्ट का इंतज़ार कर रहा हूं. यदि पुलिसकर्मी रिपोर्ट में दोषी पाए गए तो हम सख़्त कार्रवाई करेंगे.

पुलिस ने जिन लोगों की तस्वीर वायरल की है, उनमें से एक 30 वर्षीय आरटीआई एक्टिविस्ट सुनील चौधरी भी हैं

“क्या तस्वीरों में दिख रहे लोग पत्रकार हैं, इस सवाल पर पुलिस अधीक्षक कहते हैं, “वो बाइट लेते रहते थे लेकिन किसी अधिकृत मीडिया से वो नहीं हैं. जहां तक मेरी जानकारी है वो एक स्थानीय यूट्यूबर हैं जो यूट्यूब पर ख़बरें डालते हैं.”
कनिष्क तिवारी का आरोप है कि स्थानीय विधायक के कहने पर पुलिस ने ऐसा किया है.क्या पुलिस ने किसी के प्रभाव में ये कार्रवाई की, इस सवाल पर पुलिस अधीक्षक कहते हैं, “ये आरोप बेबुनियाद है. कनिष्क तिवारी के ख़िलाफ़ पहले से ही एक मुक़दमा कायम है जिसकी जांच की जा रही है. 2021 में वो एक हॉस्टल में घुस गए थे, इस घटना के संबंध में आईपीसी 452 का मुक़दमा दर्ज हुआ था जिसकी जांच चल रही है. हालांकि, किसी भी मामले में उन्हें गिरफ़्तार नहीं किया गया है.”
कनिष्क तिवारी ने स्थानीय बीजेपी विधायक केदारनाथ शुक्ल पर पुलिस को प्रभावित करने के आरोप लगाए हैं. कनिष्क का आरोप है कि वो विधायक के ख़िलाफ़ अपने यूट्यूब चैनल के माध्यम से ख़बरें दिखाते रहे हैं, इसलिए ही उन्हें निशाना बनाया गया है.
हालांकि, केदारनाथ शुक्ल ऐसे सभी आरोपों को ख़ारिज करते हैं. बीबीसी से बात करते हुए विधायक शुक्ला ने कहा, “पत्रकारों के ख़िलाफ़ कोई घटना नहीं हुई है, किसी पत्रकार ने आरोप नहीं लगाया है, वो व्यक्ति पत्रकार नहीं है, आप उसे पत्रकार न कहें. इससे ज़्यादा मैं इस मामले में कुछ भी नहीं कहूंगा.”
जब विधायक से पूछा कि क्या थाने में ये घटना हुई है या नहीं तो उन्होंने कहा, “ये घटना हुई है लेकिन किसी पत्रकार के साथ नहीं हुई है.”

नरेंद्र सिंह के शरीर पर लगे चोट के निशान

वहीं, कनिष्क का दावा है कि वो ‘एमपी संदेश’ न्यूज़ के नाम से यूट्यूब चैनल चलाते हैं जिसके एक लाख से अधिक फ़ॉलोवर हैं. कनिष्क का दावा है कि वो राष्ट्रीय मीडिया से भी जुड़े रहे हैं.इस मामले में रीवा के आईजी केपी वेंकटेश्वर राव से बात करने की कोशिश की गई लेकिन उनसे बात नही हो पाई.भोपाल में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश मीडिया प्रभारी लोकेन्द्र पराशर ने बताया कि अभी सिर्फ़ प्राथमिक कारवाई की गई है.उन्होंने कहा, “जांच चल रही है और बग़ैर जांच के कार्रवाई नहीं की जा सकती है. मामले में गंभीर कुछ मिलेगा तो किसी को भी छोड़ा नहीं जाएगा.”(बीबीसी से साभार )

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